दौलतमंद ना कभी सब्र करता है ना ही कभी जिक्र करता ह | हिंदी Shayari

"दौलतमंद ना कभी सब्र करता है ना ही कभी जिक्र करता है उसके पास दौलत है वो वो अपनी दौलत से दौलत खींचता है उसे फिक्र होती अपनी दौलत को दो गुनी चार गुनी करने की मगर गरीब कंगाल से वो अक्सर यही कहेगा मशक्कत कर कोशिशें कर सब्र कर और जिक्र कर सब्र का फल मिटा होता है सब्र के फल को मिटा होने से पहले हमने लोगो को कब्र में जाते हुए देखा है ©FAKIR SAAB(ek fakir)"

 दौलतमंद ना कभी सब्र करता है
ना ही कभी जिक्र करता है
उसके पास दौलत है वो
वो अपनी दौलत से दौलत
खींचता है
उसे फिक्र होती अपनी दौलत को
दो गुनी चार गुनी करने की
मगर गरीब कंगाल से वो अक्सर
यही कहेगा मशक्कत कर
कोशिशें कर सब्र कर 
और जिक्र कर सब्र का फल 
मिटा होता है
सब्र के फल को मिटा होने 
से पहले हमने लोगो को कब्र में
जाते हुए देखा है

©FAKIR SAAB(ek fakir)

दौलतमंद ना कभी सब्र करता है ना ही कभी जिक्र करता है उसके पास दौलत है वो वो अपनी दौलत से दौलत खींचता है उसे फिक्र होती अपनी दौलत को दो गुनी चार गुनी करने की मगर गरीब कंगाल से वो अक्सर यही कहेगा मशक्कत कर कोशिशें कर सब्र कर और जिक्र कर सब्र का फल मिटा होता है सब्र के फल को मिटा होने से पहले हमने लोगो को कब्र में जाते हुए देखा है ©FAKIR SAAB(ek fakir)

#Couple Sabr

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