सुकून है कितना ख्यालों में तेरे
मिलती है कितनी मुझे राहत ना पूछो
तेरे नाम से ही कसक सी उठती है दिल में
इस दीवाने दिल की ऐसी हालत ना पूछो
तड़पता है तू, बेचैनी हो जाती है मुझको
चाहत में मेरी ऐसी तुम सिद्दत ना पूछो
तड़प है मिलन की कितनी,इन आंखों में पढ़ लो
कर रही कितनी खुद से शिकायत न पूछो
तस्वीर से तेरी अक्सर करती हूं मैं बातें
मेरी बातों में वो हो रही शरारत ना पूछो
बन गया दिल मेरा ये अमानत अब आपकी
कितनी है अब आपकी इसपर हुकूमत ना पूछो
शुक्र है खुदा का जो मिल गया तू मुझको
कितनी है खुदा की ये इनायत ना पूछो
©Ƈђɇҭnᴀ Ðuвєɏ
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