है मुझमें दफन कितनी रौनके न पूंछ हर बार उजड़ कर ब | हिंदी विचार

"है मुझमें दफन कितनी रौनके न पूंछ हर बार उजड़ कर बसता रहा वो शहर हूं मैं. .!! ©Dharma pandit( Unbreakable)"

 है मुझमें दफन  कितनी रौनके न पूंछ
हर बार  उजड़ कर बसता रहा वो शहर हूं  मैं. .!!

©Dharma pandit( Unbreakable)

है मुझमें दफन कितनी रौनके न पूंछ हर बार उजड़ कर बसता रहा वो शहर हूं मैं. .!! ©Dharma pandit( Unbreakable)

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