किसने कहा तुम रुक सकती हो
किसने कहा तुम झुक सकती हो
तुम तो वो तपती धूप की आग हो
जो हर जगह रोशनी बिखरने का हौसला रखती हो
फिर किसने कहा तुम रुक सकती हो
दुनिया की परवाह किए बिना अपने सपने
की उड़ान भरती हो
क्या अब भी तुम अपनी जिंदगी जीने का खेद कर रही हो....?
©Akanksha Joshi
Roshni el umeed ki