पेश तो होगा अदालत में मुक़दमा बे-शक जुर्म क़ातिल ह | हिंदी Shayari

"पेश तो होगा अदालत में मुक़दमा बे-शक जुर्म क़ातिल ही के सर हो ये ज़रूरी तो नहीं ©Mujahid Khan"

 पेश तो होगा अदालत में मुक़दमा बे-शक
जुर्म क़ातिल ही के सर हो ये ज़रूरी तो नहीं

©Mujahid Khan

पेश तो होगा अदालत में मुक़दमा बे-शक जुर्म क़ातिल ही के सर हो ये ज़रूरी तो नहीं ©Mujahid Khan

Mujahid Khan

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