अगूठा छाप हैं लेकिन हुकूमत कर रहे हैं वो|
हमारे साथ रहकर भी बगावत कर रहे हैं वो|
बनू कैसे महाजन मैं इसी बस आस में यारों |
मिलावट से भरा देखो तिजारत कर रहे हैं वो|
तिजारत-व्यापार
नमन हम कर रहे उनको लगे जो देश सेवा में|
कफन को बांधकर सर पे हिफ़ाजत कर रहे हैं वो|
कि नफरत खूब फैला दो लगा दो आग हर घर में|
लड़ाकर एक दूजे को सियासत कर रहे हैं वो|
कभी भी मिल न पायेंगे कि सबकुछ जानकर यारो|
उन्हें अपना बनाने की हिमाकत कर रहे हैं वो|
हिमाकत-बेवक़ूफी
💞रश्मि💞
Govind Pandram Pandit Ji G kirti rkm शत्रुहन दुबे दिव्या_राईट्स kirti rkm vks Siyag मañjü pãwãr Satyam Tyagi Yogendra Nath dhyan mira Raj Yaduvanshi खुले जहां के आजाद मुसाफ़िर kirti sharma Anshu writer