क्या बेचकर खरीदूँ अब, फुरसत तुम्हारे लिए, सब कुछ ग | हिंदी Life

"क्या बेचकर खरीदूँ अब, फुरसत तुम्हारे लिए, सब कुछ गिरवी पड़ा है, जिम्मेदारियों के पास.!! ©Imtiyaz Qazi"

 क्या बेचकर खरीदूँ अब, फुरसत तुम्हारे लिए,
सब कुछ गिरवी पड़ा है, जिम्मेदारियों के पास.!!

©Imtiyaz Qazi

क्या बेचकर खरीदूँ अब, फुरसत तुम्हारे लिए, सब कुछ गिरवी पड़ा है, जिम्मेदारियों के पास.!! ©Imtiyaz Qazi

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