White इस कदर पाल लिया है हसरत-ऐ-दीदार तेरा इन आंखों ने,,
के फिर मुद्दतें हुई आईने में इन्होंने मेरा चेहरा भी नहीं देखा,,,,
हमे जितने भी दरिया ,नदी नदिया मिले सब बड़ी जल्दी में थे,,
अपनी परछाई देख सकूं ऐसा कोई तालाब ठहरा भी नहीं देखा,,
फिर आसमां से गिरकर और पाताल में उतरकर भी देख लिया,,
पर ज़ख्म कोई जिस्म की हद से गहरा भी नहीं देखा,,,,
और सुना है सुन लेता है अरदास वो बेजुबानों की भी,
मेरे हक़ में तो मैने मेरे ख़ुदा से बड़ा कोई बहरा भी नही देखा।
©Dev choudhary
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