तुमने मुझे छू क्या लिया नजरों से, मेरे सपनों को एक | हिंदी Shayari

"तुमने मुझे छू क्या लिया नजरों से, मेरे सपनों को एक पैगाम दी है। सोचता हूं मैं फुरसत में काम टालकर, वर्षों से दबी जज़्बात को हवा दी है। अब तो करवटों में कटती हैं रातें मेरी, तुमने सपनों में आकर रातें आधी की हैं। बेसब्र भटक रहा था मैं दर-ब-दर, मेरी टूटती उम्मीदों को राहत दी है। उदासियों में बीत रहा था दिन मेरा, मेरे सूखे होठों को हंसी दी है। पूरा बचपन जो अंधेरों में कटा मेरा, तूने आकर मेरे जीवन को रोशनी दी है। ©theABHAYSINGH_BIPIN"

 तुमने मुझे छू क्या लिया नजरों से,
मेरे सपनों को एक पैगाम दी है।
सोचता हूं मैं फुरसत में काम टालकर,
वर्षों से दबी जज़्बात को हवा दी है।

अब तो करवटों में कटती हैं रातें मेरी,
तुमने सपनों में आकर रातें आधी की हैं।
बेसब्र भटक रहा था मैं दर-ब-दर,
मेरी टूटती उम्मीदों को राहत दी है।

उदासियों में बीत रहा था दिन मेरा,
मेरे सूखे होठों को हंसी दी है।
पूरा बचपन जो अंधेरों में कटा मेरा,
तूने आकर मेरे जीवन को रोशनी दी है।

©theABHAYSINGH_BIPIN

तुमने मुझे छू क्या लिया नजरों से, मेरे सपनों को एक पैगाम दी है। सोचता हूं मैं फुरसत में काम टालकर, वर्षों से दबी जज़्बात को हवा दी है। अब तो करवटों में कटती हैं रातें मेरी, तुमने सपनों में आकर रातें आधी की हैं। बेसब्र भटक रहा था मैं दर-ब-दर, मेरी टूटती उम्मीदों को राहत दी है। उदासियों में बीत रहा था दिन मेरा, मेरे सूखे होठों को हंसी दी है। पूरा बचपन जो अंधेरों में कटा मेरा, तूने आकर मेरे जीवन को रोशनी दी है। ©theABHAYSINGH_BIPIN

#boat

तुमने मुझे छू क्या लिया नजरों से,
मेरे सपनों को एक पैगाम दी है।
सोचता हूं मैं फुरसत में काम टालकर,
वर्षों से दबी जज़्बात को हवा दी है।

अब तो करवटों में कटती हैं रातें मेरी,

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