"देख के वो हमको सर झुकते है
बुला के महफ़िल में नज़रे चुराते है
नफरत है हमसे तो भी कोई बात नहीं
नफ़रत है हमसे तो भी कोई बात नही
पर गैरों से मिलकर दिल क्यों जलाते है"
देख के वो हमको सर झुकते है
बुला के महफ़िल में नज़रे चुराते है
नफरत है हमसे तो भी कोई बात नहीं
नफ़रत है हमसे तो भी कोई बात नही
पर गैरों से मिलकर दिल क्यों जलाते है