ज़िंदगी दरस्त-ए-ग़म थी और कुछ नहीं... ये मेरा ही हौस | हिंदी Shayari

"ज़िंदगी दरस्त-ए-ग़म थी और कुछ नहीं... ये मेरा ही हौसला हैं कि दरम्यां से गुजर गया !! . ©Parveen kaushik 'Jaani'"

 ज़िंदगी दरस्त-ए-ग़म थी और कुछ नहीं...
ये मेरा ही हौसला हैं कि दरम्यां से गुजर गया !!





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©Parveen kaushik 'Jaani'

ज़िंदगी दरस्त-ए-ग़म थी और कुछ नहीं... ये मेरा ही हौसला हैं कि दरम्यां से गुजर गया !! . ©Parveen kaushik 'Jaani'

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