White मिलते थे हंस-हंसकर यूं जमाने से पर फिर भी | हिंदी कविता

"White मिलते थे हंस-हंसकर यूं जमाने से पर फिर भी मन में कुछ बेचैनी सी लगी। बाहर था बहुत शोर- शराबा, पर फिर भी मन में कुछ खामोशी सी लगी। जुनून से भरी है जिंदगी पर फिर भी मन में कुछ नाकामी सी लगी। सब अपने ही लोग हैं यहां, पर पता नहीं, फिर भी मैं खुद ही ,खुद को अनजानी सी लगी‌। ©Sudha Betageri"

 White मिलते थे हंस-हंसकर यूं जमाने से 
 पर फिर भी मन में कुछ बेचैनी सी लगी। 
बाहर था बहुत शोर- शराबा, 
पर फिर भी मन में कुछ खामोशी सी लगी। 
जुनून से भरी है जिंदगी 
पर फिर भी मन में कुछ नाकामी सी लगी।
 सब अपने ही लोग हैं यहां, पर पता नहीं,
 फिर भी मैं खुद ही ,खुद को अनजानी सी लगी‌।

©Sudha  Betageri

White मिलते थे हंस-हंसकर यूं जमाने से पर फिर भी मन में कुछ बेचैनी सी लगी। बाहर था बहुत शोर- शराबा, पर फिर भी मन में कुछ खामोशी सी लगी। जुनून से भरी है जिंदगी पर फिर भी मन में कुछ नाकामी सी लगी। सब अपने ही लोग हैं यहां, पर पता नहीं, फिर भी मैं खुद ही ,खुद को अनजानी सी लगी‌। ©Sudha Betageri

#Sudha

People who shared love close

More like this

Trending Topic