White "100 ग्राम,140 करोड़ पर भारी" यह 100 ग्राम वज | हिंदी क

"White "100 ग्राम,140 करोड़ पर भारी" यह 100 ग्राम वजन,140 करोड़ पर पड़ा भारी आख़िर लड़कर क्यों हार गई फिर से एक नारी फिर भी विनेश तुझ पर गर्व करता हर हिंदुस्तानी अच्छे-अच्छे पहलवानों को याद दिलाई,तूने नानी पेरिस ओलंपिक में स्वर्ण पदक भले गई,तू हारी इतिहास याद करेगा,तू थी एक शेरनी किलकारी विनेश,रजत पदक की तो होनी चाहिए,दावेदारी सेमीफाइनल पूर्व तो वजन की योग्यता थी,सारी एक रात में वजन बढ़ा,यह था,बड़ा विध्वंसकारी इसने तोड़ दी है,स्वर्ण पदक की उम्मीद हमारी इसकी सुनवाई की भी हो चुकी है,अब तैयारी,सारी उसे मिले,परिश्रम फल,तुझसे यही प्रार्थना गिरधारी दीयों में कभी-कभी पानी से भी लग जाती है,चिंगारी ऐसा देखने को मिला,जब विनेश 100 ग्राम से है, हारी विनेश विजेता है ओर रहेगी,तू चैम्पियन है,हमारी तुझ पर गर्व है,तू है नारियों के सम्मान की तलवारी दिल से विजय विजय कुमार पाराशर-"साखी" ©Vijay Kumar उपनाम-"साखी""

 White "100 ग्राम,140 करोड़ पर भारी"
यह 100 ग्राम वजन,140 करोड़ पर पड़ा भारी
आख़िर लड़कर क्यों हार गई फिर से एक नारी

फिर भी विनेश तुझ पर गर्व करता हर हिंदुस्तानी
अच्छे-अच्छे पहलवानों को याद दिलाई,तूने नानी

पेरिस ओलंपिक में स्वर्ण पदक भले गई,तू हारी
इतिहास याद करेगा,तू थी एक शेरनी किलकारी

विनेश,रजत पदक की तो होनी चाहिए,दावेदारी
सेमीफाइनल पूर्व तो वजन की योग्यता थी,सारी

एक रात में वजन बढ़ा,यह था,बड़ा विध्वंसकारी
इसने तोड़ दी है,स्वर्ण पदक की उम्मीद हमारी

इसकी सुनवाई की भी हो चुकी है,अब तैयारी,सारी
उसे मिले,परिश्रम फल,तुझसे यही प्रार्थना गिरधारी

दीयों में कभी-कभी पानी से भी लग जाती है,चिंगारी
ऐसा देखने को मिला,जब विनेश 100 ग्राम से है, हारी

विनेश विजेता है ओर रहेगी,तू चैम्पियन है,हमारी
तुझ पर गर्व है,तू है नारियों के सम्मान की तलवारी

दिल से विजय
विजय कुमार पाराशर-"साखी"

©Vijay Kumar उपनाम-"साखी"

White "100 ग्राम,140 करोड़ पर भारी" यह 100 ग्राम वजन,140 करोड़ पर पड़ा भारी आख़िर लड़कर क्यों हार गई फिर से एक नारी फिर भी विनेश तुझ पर गर्व करता हर हिंदुस्तानी अच्छे-अच्छे पहलवानों को याद दिलाई,तूने नानी पेरिस ओलंपिक में स्वर्ण पदक भले गई,तू हारी इतिहास याद करेगा,तू थी एक शेरनी किलकारी विनेश,रजत पदक की तो होनी चाहिए,दावेदारी सेमीफाइनल पूर्व तो वजन की योग्यता थी,सारी एक रात में वजन बढ़ा,यह था,बड़ा विध्वंसकारी इसने तोड़ दी है,स्वर्ण पदक की उम्मीद हमारी इसकी सुनवाई की भी हो चुकी है,अब तैयारी,सारी उसे मिले,परिश्रम फल,तुझसे यही प्रार्थना गिरधारी दीयों में कभी-कभी पानी से भी लग जाती है,चिंगारी ऐसा देखने को मिला,जब विनेश 100 ग्राम से है, हारी विनेश विजेता है ओर रहेगी,तू चैम्पियन है,हमारी तुझ पर गर्व है,तू है नारियों के सम्मान की तलवारी दिल से विजय विजय कुमार पाराशर-"साखी" ©Vijay Kumar उपनाम-"साखी"

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