" मैंने बिताये वो पल जिनका आज कोई वजूद नही
पर ये यादेँ ये ख्याल बेकार तो नही,
मैंने चले वो कदम जिनकी आज कोई मंजिल नही
पर मेरा ये सफर बेकार तो नही,
मिली न मुझे बूँद मोहब्बत की कभी
मगर ये गरजते बादल बेकार तो नही,
मैं शख़्स कैसा हूँ जमाने ने किये सवाल केई
ज़वाब मेरा बेकार तो नही"
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