कुछ ऐसा वैसा यदि सोच होती तो कैसा होता
युक्रेन के हर लोग ना "वतन" को खोता होता...
दुनिया कि आव़ाज थी तन-मन-धन संभालते हैं
अपनी ज़िंदगी से पहले उक्रेनी वतन संभालते हैं
सब सोचते थे लहू मेरे मुझसे ज्यादा अच्छा होगा
स्वप्न में ना सोचा होगा ज़िन्दगी ऐसा खासा होगा
कुछ ऐसा वैसा यदि सोच होती तो कैसा होता
युक्रेन के हर लोग ना "वतन" को खोता होता...
कतरा-कतरा लहू कि सड़कों पर उसने बहा डाले
पर युक्रेन "शहीदों" ने ना घुटने ना हथियार डाले
भूल हुई थोड़ा समझ ना सके विश्व के छलियों को
लहू ने जोश में जमकर ललकारा बाहूबलियों को
कुछ ऐसा वैसा यदि सोच होती तो कैसा होता
युक्रेन के हर लोग ना "वतन" को खोता होता...
©Anushi Ka Pitara
#शदी #कि #त्रासदी