फिर इश्क़ का जूनून चढ़ रहा है सिर पे,
मयख़ाने से कह दो दरवाज़ा खुला रखे।
अकेले हम ही शामिल नहीं इस जुर्म में जनाब,
नजरें जब भी मिलीं थीं मुस्कराये तुम भी थे।
लोग पूछते हैं कौन सी दुनिया में जीते हो,
अरे इश्क़ में दुनिया कहाँ नजर आती है।
©Navash2411
#नवश