बूंद बूंद जैसे हम सब मिले
कल कल बहते दरिया बने
दरिया का प्रवाह मचलने लगा,
अपना किनारा ढूंढते, बढ़ने लगा
चट्टानों से ठोकर लगी
घांवो ने और उम्मीद दी,
धीरे धीरे बड़ी लहर बनने लगे
तीव्रता से बेचैन जगने लगे
उछलते संभलते सागर से मिलना है
गहरे पानी के गहरे किस्से सुनना है
सुना है, दूर कहीं एक महाद्वीप है
वहां की दुनिया भी रंगीन है
बूंद की ये कहानी सागर तक,
उस महाद्वीप के जन जन को कहना है
(महाद्वीप पर मिलेंगे...)
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©Swechha S
Thank you for happening, Nojoto 😇
लख दुआएं और बहुत बधाई सालगिरह की 🤗
Tum jo mile, main khud se mil gayi, Dost :)