"हाल ए दिल अपना क्या सुनाएं हम
दर्द हैं इतने ,आंसूओं को भी कैसे छुपाएँ हम ।
लोग कहते हैं वक्त के साथ संभल जायेगा सब,
ये जो दौर चल रहा है ,इसे कैसे भुलाएं हम ।
अब अपनी नासमझी पर ही तरस खाते हैं हम
वक्त के साथ कुछ बदलता नहीं
बस उसकी आदत में पड़ जाते हैं हम ॥
©Rakhi Jha
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