एक उम्र, गुस्ताख़ियों के लिये भी, नसीब होनी चाहिये | हिंदी शायरी

"एक उम्र, गुस्ताख़ियों के लिये भी, नसीब होनी चाहिये, ये ज़िंदगी तो कमबख्त बस, अदब और लिहाज़ में ही गुजार दी...🖤 ©Dr Navneet Sharma"

 एक उम्र, गुस्ताख़ियों के लिये भी, नसीब होनी चाहिये,

ये ज़िंदगी तो कमबख्त बस, अदब और लिहाज़ में ही गुजार दी...🖤

©Dr Navneet Sharma

एक उम्र, गुस्ताख़ियों के लिये भी, नसीब होनी चाहिये, ये ज़िंदगी तो कमबख्त बस, अदब और लिहाज़ में ही गुजार दी...🖤 ©Dr Navneet Sharma

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