ख़ुशी भी गुजर गई, मलाल भी गुजर गया
गुजरते गुजरते यह साल भी गुजर गया
उसके लौट आने की धुंधली मगर उम्मीद तो थी
गुजरते साल संग वो ख्याल भी गुजर गया
अब चैन की नींद है रातो को..पर आँखों से ख्वाब गुजर गया
दिन का सूरज तो चमकता है जीवन में
रातों का मेहताब गुजर गया
बहुत कुछ कहना था तुझसे बहुत कुछ सुनना था
तेरे कहे शब्दों में अपना सा मतलब चुनना था
पर वो जिज्ञासा भी गुजर गई, पूछने का काल भी गुजर गया
गुजरते गुजरते यह साल भी गुजर गया
मैं इश्क़ का सवाल लिए खड़ा रहा मगर
तेरे जवाबों के अभाव में वह सवाल ही गुजर गया
©B Positive Abhishek