White अभी और कितनी शिकस्त देखनी है मुझे
यें रोज़ रोज़ का हारना ठीक नहीं लगता, अब मौत दें मुझे..!
क्या कोई तरकश में ऐसा तीर नहीं है
जो छलनी कर, चीर दें ज़िगर, या मौत दें मुझे..!
अब यें रोज़ रोज़ की मज़बूरियां अच्छी नहीं
हारता रहुँ तुझसे, ऐ ज़िन्दगी अब तो मौत दें दें मुझे..!
मुझे हराकर तेरा कब मन भरेगा, बताओ तो
आ आज सब खेल ही ख़त्म कर दें, अब मौत दें मुझे..!
अब सबऱ नहीं होता मुझसे, बहुत बेचैन हूँ आज
किसी और जगह अब क्या जाना है, अब तो मौत दें मुझे..!
मैं अपनी नाकामियों से एकदम ऊब चुका हूँ
कोई मुसलसल नसीयत दें मुझे या अब मौत दें मुझे..!
यें रोज़ लुका छिपी का खेल क्या खेलना
आ अब सामने से मेरे तु भी, डरता नहीं हूँ अब मौत दें मुझे..!!
©Shreyansh Gaurav
Nice 👌 👌