"क्यो बेवजह, ख्यालो में चले आते हो... आखिर अब मेरे कौन हो तुम....
©✍🏻Poonam Bagadia "Punit"
"हाँ... इस दिल की भूली सी याद हो तुम
जो खुद, करती हूँ खुद से, वो फरियाद हो तुम
सुनी थी, मैने जो खामोशी में,एक रोज,उस इज़हार-ऐ-इश्क़ का ऐलान हो तुम
डुबाया था तुमने,इश्क़-ऐ-समंदर में झूठे वादों का सैलाब हो तुम
मोहोब्बत के टूटे आईने में, मुस्कुराते बेचैनी का एहसास हो तुम
बीते हुए,वक़्त की चुभती... मगर प्यार भरी शरारत हो तुम
दिन के उजालों में भी,आँखो में चुपके से, बन कर ख़्वाब समा जाते हो तुम
और रात को उनमें सावन बन छाते हो तुम