"प्रेम-राग" जब सूरज ढलने लगता है, और बादल रंग बरसाते हैं, तब इंद्रधनुष पनपता है, वह शाम सुहानी लगती है, जब धीरे-धीरे चलती हवा, कानों में आकर कुछ कहती है, ऐसा लगता है जैसे तुमने, संदेशा कोई भेजा है, उस गर्म चाय की प्याली को, जब होठों से लगाता हूंँ, तब याद तुम्हारी आती है, मैं "प्रेम-राग" गुनगुनाता हूंँ।
©Prabhash Kumar mishra (Satyam)
#प्रेमराग