White का कहँ, का हँमैउद्भांत? वि वर मेनील गगन केआ | हिंदी Poetry

"White का कहँ, का हँमैउद्भांत? वि वर मेनील गगन केआज। वायुकी भटकी एक तरंग, शूनता का उज़ड़ा-सा राज़। ©swati priya"

 White का कहँ, का हँमैउद्भांत?
वि वर मेनील गगन केआज।
वायुकी भटकी एक तरंग,
शूनता का उज़ड़ा-सा राज़।

©swati priya

White का कहँ, का हँमैउद्भांत? वि वर मेनील गगन केआज। वायुकी भटकी एक तरंग, शूनता का उज़ड़ा-सा राज़। ©swati priya

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