White कितनी महबूब थी ज़िंदगी कुछ नहीं कुछ नहीं क्य | हिंदी Shayari Vid

"White कितनी महबूब थी ज़िंदगी कुछ नहीं कुछ नहीं क्या ख़बर थी इस अंजाम की कुछ नहीं कुछ नहीं आज जितने बरादर मिले चाक-चादर मिले कैसी फैली है दीवानगी कुछ नहीं कुछ ©Shaikh Israr "

White कितनी महबूब थी ज़िंदगी कुछ नहीं कुछ नहीं क्या ख़बर थी इस अंजाम की कुछ नहीं कुछ नहीं आज जितने बरादर मिले चाक-चादर मिले कैसी फैली है दीवानगी कुछ नहीं कुछ ©Shaikh Israr

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