हे कृष्णा तुम आओ इस धरती पर
बिचलित हैं सब नारी
जब पांच पति के रहते
असहाय रही द्रोपदी बेचारी!
तुम ही आन लाज बचाए
एक भ्राता से आषा न्यारी।
हे कृष्ण तुम आओ धरती पर
बिचलित हैं सब नारी
कैसे तुम्हे संदेस भेजे,
कैसे जाएगी बीपदा भारी
नारी की काया को कामूक निगाहे घुरे,
आंखे उसकी अंधी करो
दण्ड दो उसे
हे दण्डाधीकारी।!
हे कृष्ण तुम.आओ इस धरती पर!
बिचलित हैं सब नारी।
रेनू कुमारी✍️
©Renu Kumari
#janmashtami