नदियों से बहती गई यह कहानी धीरे धीरे जब आई प्यास ब | हिंदी Shayari Vid

"नदियों से बहती गई यह कहानी धीरे धीरे जब आई प्यास बुझाने की बारी तो हमसे दूर होती गई धीरे धीरे तु बोली थी कि मुझे बचाकर रखो लेकिन समझ नहीं पाया था पागल मै जब प्यास लगी थी जोरों से तब पानी का महत्व पता चला धीरे धीरे जल का तुम संचय नहीं किया तो प्राण त्यागो गे धीरे धीरे ©Prakash Kumar "

नदियों से बहती गई यह कहानी धीरे धीरे जब आई प्यास बुझाने की बारी तो हमसे दूर होती गई धीरे धीरे तु बोली थी कि मुझे बचाकर रखो लेकिन समझ नहीं पाया था पागल मै जब प्यास लगी थी जोरों से तब पानी का महत्व पता चला धीरे धीरे जल का तुम संचय नहीं किया तो प्राण त्यागो गे धीरे धीरे ©Prakash Kumar

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