मेरी पहचान ना बदलूंगी बाबा मैं अपना नाम ना बदलूंगी
माना कि मेरी शादी होगी कटघरे में मेरी आजादी होगी
मैं जब छोड़ कर जाऊंगी तेरा आंगन
तेरे आंगन मे तो मेरी यादों की आबादी होगी
तेरे कहने पे तो मैं अपनी जिंदगी दो हिस्से में बांट लूंगी
पर अपनी पहचान ना बदलूंगी बाबा मैं अपना नाम ना बदलूंगी
माना कि यह हर बेटी को करनी होगी
शादी के मंडप में पुत्र नहीं सिर्फ कन्यादान होगी
पर शादी तो उसकी भी होगी तो क्यों सिर्फ मेरी पहचान बदलेगी
तेरे कहने पर तो मैं अपने सपनों पर कर्तव्य का बोर्ड लगा लूंगी
पर अपनी पहचान ना बदलूंगी बाबा अपना नाम ना बदलूंगी
©Sugyani
#पहचान