#NationalScienceDay भावनाओं का तापमान अद्वितीय है ,
यह हृदय नामक पदार्थ की ठोसता को ,
पल भर में द्रवित कर देता हैं ।
यदि अति आवेग में हो तो ,
उड़ा सकती हैं ,
हृदय की सब सँवेदनाओं को भाप बनाकर ।
किंतु कुछ हृदय सह जाते हैं ,
आलोचनाओ, वेदनाओं ,
और अपेक्षाओं का कठिन ताप
ऐसे हृदय बुद्ध हो जाते हैं ।
इस पदार्थ के हृदय ,
सामाजिक आवर्त में अलग स्थान पाते हैं ।
अलग इतने की बहार के बराबर ।
✍️विनोद
©Vinod mehra
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