#NationalScienceDay भावनाओं का तापमान अद्वितीय है | हिंदी विचार

"#NationalScienceDay भावनाओं का तापमान अद्वितीय है , यह हृदय नामक पदार्थ की ठोसता को , पल भर में द्रवित कर देता हैं । यदि अति आवेग में हो तो , उड़ा सकती हैं , हृदय की सब सँवेदनाओं को भाप बनाकर । किंतु कुछ हृदय सह जाते हैं , आलोचनाओ, वेदनाओं , और अपेक्षाओं का कठिन ताप ऐसे हृदय बुद्ध हो जाते हैं । इस पदार्थ के हृदय , सामाजिक आवर्त में अलग स्थान पाते हैं । अलग इतने की बहार के बराबर । ✍️विनोद ©Vinod mehra"

 #NationalScienceDay भावनाओं का तापमान अद्वितीय है ,
यह हृदय नामक पदार्थ की ठोसता को ,
पल भर में द्रवित कर देता हैं ।
यदि अति आवेग में हो तो ,
उड़ा सकती हैं ,
हृदय की सब सँवेदनाओं को भाप बनाकर ।
किंतु कुछ हृदय सह जाते हैं ,
आलोचनाओ, वेदनाओं , 
और अपेक्षाओं का कठिन ताप
ऐसे हृदय बुद्ध हो जाते हैं ।
इस पदार्थ के हृदय ,
सामाजिक आवर्त में अलग स्थान पाते हैं ।
अलग इतने की बहार के बराबर ।
✍️विनोद

©Vinod mehra

#NationalScienceDay भावनाओं का तापमान अद्वितीय है , यह हृदय नामक पदार्थ की ठोसता को , पल भर में द्रवित कर देता हैं । यदि अति आवेग में हो तो , उड़ा सकती हैं , हृदय की सब सँवेदनाओं को भाप बनाकर । किंतु कुछ हृदय सह जाते हैं , आलोचनाओ, वेदनाओं , और अपेक्षाओं का कठिन ताप ऐसे हृदय बुद्ध हो जाते हैं । इस पदार्थ के हृदय , सामाजिक आवर्त में अलग स्थान पाते हैं । अलग इतने की बहार के बराबर । ✍️विनोद ©Vinod mehra

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