चलो आज अंतर बचपन ढूंढे
फिर वही जिज्ञासा ढूंढे
वही चीजों को तोड़ मरोड़ कर
खुश होना सीखे
चीजों को फिर बाटना सीखे
खुश होने का तरीका सीखे
ये बस सोच है, जो खफा है
थम तो जरा, आज फिर जीना सीखे
चलो आज अंतर बचपन ढूंढे
बिना वजह , मुस्कुराना सीखे
आ आज फिर जिंदिगी से जीना सीखे...
.. मनीषा गुसाईं
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