इस दौड़ती - भागती, परेशान सी दिखती दुनिया में जब | हिंदी कविता

"इस दौड़ती - भागती, परेशान सी दिखती दुनिया में जब तुम्हारा शांत चेहरा देखता हूं, तो एक उम्मीद जागती है सृजन की ! कि कोई है जो मेरे साथ टिक पाएगा, आने वाले तूफानों में ! कि कोई है जो संभाल लेगा मुझे, किसी गर्त में गिरने से !! हां कभी कभी मस्तिष्क शंकाओं भरे प्रश्न उठाता जरूर है कि क्या कोई सचमुच हो सकता है, इतना शांत और इतना खुश ? कहीं ये कोई स्वप्न तो नहीं है ?? तुम मेरे तथाकथित "कठिन" वक्त में मिले हो मुझे, और दिखाया है कि जीवन मात्र सुख-दुख, खोने -पाने और स्वार्थ की जटिल संरचना नहीं, अपितु आनन्द की एक सरल रेखा भी हो सकता है ! जब कभी डरता हूं, घबराता हूं, या विचलित होता हूं तो ढूंढता हूं तुमको ! और जब कठिनाइयों को चीरते हुए बढ़ता हूं आगे, तो अपने साथ महसूस करता हूं तुमको !! तुमने थामा हुआ है मुझे तो डर किस बात का !! जब मेरे पास कुछ नहीं था, तो साथ तुम थे, और जब मेरे पास तुम हो, तो लगता है कि..... सब कुछ तो है मेरे साथ!! ©Amit Maurya"

 इस दौड़ती - भागती, परेशान सी दिखती दुनिया में 
जब तुम्हारा शांत चेहरा देखता हूं, 
तो एक उम्मीद जागती है सृजन की !
कि कोई है जो मेरे साथ टिक पाएगा, आने वाले तूफानों में !
कि कोई है जो संभाल लेगा मुझे, किसी गर्त में गिरने से !!
हां कभी कभी मस्तिष्क शंकाओं भरे प्रश्न उठाता जरूर है 
कि क्या कोई सचमुच हो सकता है, इतना शांत और इतना खुश ?
कहीं ये कोई स्वप्न तो नहीं है ??
तुम मेरे तथाकथित "कठिन" वक्त में मिले हो मुझे,
और दिखाया है कि जीवन मात्र सुख-दुख, खोने -पाने और 
स्वार्थ की जटिल संरचना नहीं,
अपितु आनन्द की एक सरल रेखा भी हो सकता है !
जब कभी डरता हूं, घबराता हूं, या विचलित होता हूं 
तो ढूंढता हूं तुमको !
और जब कठिनाइयों को चीरते हुए बढ़ता हूं आगे,
तो अपने साथ महसूस करता हूं तुमको !!
तुमने थामा हुआ है मुझे तो डर किस बात का !!
जब मेरे पास कुछ नहीं था, तो साथ तुम थे,
और जब मेरे पास तुम हो, तो लगता है कि.....
सब कुछ तो है मेरे साथ!!

©Amit Maurya

इस दौड़ती - भागती, परेशान सी दिखती दुनिया में जब तुम्हारा शांत चेहरा देखता हूं, तो एक उम्मीद जागती है सृजन की ! कि कोई है जो मेरे साथ टिक पाएगा, आने वाले तूफानों में ! कि कोई है जो संभाल लेगा मुझे, किसी गर्त में गिरने से !! हां कभी कभी मस्तिष्क शंकाओं भरे प्रश्न उठाता जरूर है कि क्या कोई सचमुच हो सकता है, इतना शांत और इतना खुश ? कहीं ये कोई स्वप्न तो नहीं है ?? तुम मेरे तथाकथित "कठिन" वक्त में मिले हो मुझे, और दिखाया है कि जीवन मात्र सुख-दुख, खोने -पाने और स्वार्थ की जटिल संरचना नहीं, अपितु आनन्द की एक सरल रेखा भी हो सकता है ! जब कभी डरता हूं, घबराता हूं, या विचलित होता हूं तो ढूंढता हूं तुमको ! और जब कठिनाइयों को चीरते हुए बढ़ता हूं आगे, तो अपने साथ महसूस करता हूं तुमको !! तुमने थामा हुआ है मुझे तो डर किस बात का !! जब मेरे पास कुछ नहीं था, तो साथ तुम थे, और जब मेरे पास तुम हो, तो लगता है कि..... सब कुछ तो है मेरे साथ!! ©Amit Maurya

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