// छठ पर्व // कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में, आता

"// छठ पर्व // कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में, आता पर्व महान, सब हैं करते तेरा ध्यान, मैया तूँ है दयानिधान. चार दिवस का पर्व अनोखा, युगों से चलती आई, सीता मैया, कर्ण और पांडव, साथ में कुंती माई. भक्ति भाव उमड़ पड़ता है, करते सब गुणगान, सब हैं करते तेरा ध्यान, मैया तूँ है दयानिधान. प्यारी बहना दिनकर की हैं, षष्ठी तिथि है प्यारी, कृपा सिंधु हैं आप हे मैया, जग देता बलिहारी. डाला सूप सजाये कहते, आ जाओ दिनमान, सब हैं करते तेरा ध्यान, मैया तूँ है दयानिधान. आम की लकड़ी, नारियल, संतरा, मूली, ठेकुआ, केला, घाट सजे हैं सुंदर -सुंदर, कितना मोहक बेला. अमरुद, पान, सुपारी, गन्ना, विविध बने पकवान, सब हैं करते तेरा ध्यान, मैया तूँ है दयानिधान. जल में व्रती हाथ हैं जोड़े, सुख-समृद्धि मांगे, अंतस का तम दूर करो माँ, और न हम कुछ चाहें. कोढ़िया, दुखिया, बाँझ, गरीबी, सबका करते त्राण, सब हैं करते तेरा ध्यान, मैया तूँ है दयानिधान. ©बेजुबान शायर shivkumar"

 // छठ पर्व //


कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में, आता पर्व महान,
सब हैं करते तेरा ध्यान, मैया तूँ है दयानिधान.

चार दिवस का पर्व अनोखा, युगों से चलती आई,
सीता मैया, कर्ण और पांडव, साथ में कुंती माई.

भक्ति भाव उमड़ पड़ता है, करते सब गुणगान,
सब हैं करते तेरा ध्यान, मैया तूँ है दयानिधान.

प्यारी बहना दिनकर की हैं, षष्ठी तिथि है प्यारी,
कृपा सिंधु हैं आप हे मैया, जग देता बलिहारी.

डाला सूप सजाये कहते, आ जाओ दिनमान,
सब हैं करते तेरा ध्यान, मैया तूँ है दयानिधान.

आम की लकड़ी, नारियल, संतरा, मूली, ठेकुआ, केला,
घाट सजे हैं सुंदर -सुंदर, कितना मोहक बेला.

अमरुद, पान, सुपारी, गन्ना, विविध बने पकवान,
सब हैं करते तेरा ध्यान, मैया तूँ है दयानिधान.

जल में व्रती हाथ हैं जोड़े, सुख-समृद्धि मांगे,
अंतस का तम दूर करो माँ, और न हम कुछ चाहें.

कोढ़िया, दुखिया, बाँझ, गरीबी, सबका करते त्राण,
सब हैं करते तेरा ध्यान, मैया तूँ है दयानिधान.

©बेजुबान शायर shivkumar

// छठ पर्व // कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में, आता पर्व महान, सब हैं करते तेरा ध्यान, मैया तूँ है दयानिधान. चार दिवस का पर्व अनोखा, युगों से चलती आई, सीता मैया, कर्ण और पांडव, साथ में कुंती माई. भक्ति भाव उमड़ पड़ता है, करते सब गुणगान, सब हैं करते तेरा ध्यान, मैया तूँ है दयानिधान. प्यारी बहना दिनकर की हैं, षष्ठी तिथि है प्यारी, कृपा सिंधु हैं आप हे मैया, जग देता बलिहारी. डाला सूप सजाये कहते, आ जाओ दिनमान, सब हैं करते तेरा ध्यान, मैया तूँ है दयानिधान. आम की लकड़ी, नारियल, संतरा, मूली, ठेकुआ, केला, घाट सजे हैं सुंदर -सुंदर, कितना मोहक बेला. अमरुद, पान, सुपारी, गन्ना, विविध बने पकवान, सब हैं करते तेरा ध्यान, मैया तूँ है दयानिधान. जल में व्रती हाथ हैं जोड़े, सुख-समृद्धि मांगे, अंतस का तम दूर करो माँ, और न हम कुछ चाहें. कोढ़िया, दुखिया, बाँझ, गरीबी, सबका करते त्राण, सब हैं करते तेरा ध्यान, मैया तूँ है दयानिधान. ©बेजुबान शायर shivkumar

👏जय छठी माँ 👏

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में, आता पर्व महान,
सब हैं करते तेरा ध्यान, मैया तूँ है दयानिधान.

चार दिवस का पर्व अनोखा, युगों से चलती आई,
सीता मैया, कर्ण और पांडव, साथ में कुंती माई.

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