होलीका की आग.
आग बोलती नहीं, अपने को समेटकर रखती
छोटी माचीस डिब्बी मे आ अपार शक्ति रखती
रंगों से सजी आग होती
घर के चूल्हों में,बड़े से छोटे हवन कुंडों में रहती
अगरबत्ती मे सुगंध,गरमा गर्म रोटी मे भी रहती
रंगों से सजी आग होती
अपनी इच्छा से य अनिच्छा से धाधकती रहती
सब कुछ जला देने के बाद भी खामोश रहती
कई रंगो से सजी आग होती
अधर्म पर धर्म जीत,या विश्वास की जीत मे रहती
बुराइयाँ पर जीत,नई सोच,विचार,उमंग मे रहती
रंगो से सजी आग होती
आग तन लगे शरीर जले, मन लगे परिवार जले
दिमाग़ लगे समाज जले, तीनो जले तो विश्व जले
कई रूपों से सजी आग होती
"गुरु प्रशस्त" कहे दहन करो निराशा,द्वेष,आविश्वास
"वैभव" भक्ति प्रज्वलित करो अविचल बढ़ते चलो
©वैभव जैन
#होलिका की आग