रात भर एक चांद का साया रहा खाली दरख़्त भी उससे भरम | हिंदी कविता Video

"रात भर एक चांद का साया रहा खाली दरख़्त भी उससे भरमाया रहा थे कुछ ख़्वाब उसमें भी बेजान से खुद तारों की चमक से, थे अनजान से खुशबू थी फिज़ाओं में, या कोई जुस्तजू कि देखूं मैं तुम्हें करीब से, हां थी एक आरजू ©Aprajita Anand ( Rhycha) "

रात भर एक चांद का साया रहा खाली दरख़्त भी उससे भरमाया रहा थे कुछ ख़्वाब उसमें भी बेजान से खुद तारों की चमक से, थे अनजान से खुशबू थी फिज़ाओं में, या कोई जुस्तजू कि देखूं मैं तुम्हें करीब से, हां थी एक आरजू ©Aprajita Anand ( Rhycha)

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