White इश्क़ ए ज़ज़्बात
इश्क़ - ए ज़ज़्बात कभी छुपाया नहीं,
हाल- ए - दिल उसे कभी बताया नहीं।
कैसे बयाँ करता इस इश्क़ की नादानी,
ए इश्क़ के गलियारें कभी भाया नहीं।
मैंने याद बहुत किया उन हसीं लम्हों को,
बीत गया सावन वो वापस आया नहीं।
सुख गईं आँखें मेरी अच्छे की आस में,
पर ख़्वाब हक़ीकत में कभी आया नहीं।
कितना अजीज़ शख़्स था मेरे दिल को,
जो इश्क़ ए ज़मीं पर कभी आया नहीं।
अभय, इंतेज़ार की ये घड़ियाँ गवाह हैं,
ना आने का कारण कभी बताया नहीं।
©theABHAYSINGH_BIPIN
#GoodNight
इश्क़ ए ज़ज़्बात
इश्क़ - ए ज़ज़्बात कभी छुपाया नहीं,
हाल- ए - दिल उसे कभी बताया नहीं।
कैसे बयाँ करता इस इश्क़ की नादानी,
ए इश्क़ के गलियारें कभी भाया नहीं।