ज़रा सख़्ती के भीतर झांक कर इक बार देखो तो।
छिपा बेइंतेहा बेलौस इनका प्यार देखो तो।।
हुईं कमज़ोर शाखें, फिर भी कोंपल फूट आएंगी..
कभी बूढ़े दरख्तों से लिपट कर यार देखो तो।।
महेश वर्मा "दिव्यमणि"
©Mahesh Verma
पितृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।।
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