कहाँ नसीब है मेरा कि मेरी ज़िंदगी
उसके साथ गुज़रे
निगाहें तरस गई हैं जिसके
दीदार के लिए
उसे एहसास भी नहीं मेरी
तड़प का शायद
मेरा सब कुछ है हाज़िर उसके
प्यार के लिए
©Creative.nr
कहाँ नसीब है मेरा कि मेरी ज़िंदगी
उसके साथ गुज़रे
निगाहें तरस गई हैं जिसके
दीदार के लिए
उसे एहसास भी नहीं मेरी
तड़प का शायद
मेरा सब कुछ है हाज़िर उसके
प्यार के लिए