हर रात तेरे जुल्मों की कहानी लिखता हूं... रकीब संग | हिंदी शायरी

"हर रात तेरे जुल्मों की कहानी लिखता हूं... रकीब संग बीती रातों की निशानी लिखता हूं... लिखता हूं तेरे साथ बिताए हर एक लम्हें को... मैं अपनी ही कब्र,अपनी ज़ुबानी लिखता हूं... ©#Satyam shayar#"

 हर रात तेरे जुल्मों की कहानी लिखता हूं...
रकीब संग बीती रातों की निशानी लिखता हूं...
लिखता हूं तेरे साथ बिताए हर एक लम्हें को...
मैं अपनी ही कब्र,अपनी ज़ुबानी लिखता हूं...

©#Satyam shayar#

हर रात तेरे जुल्मों की कहानी लिखता हूं... रकीब संग बीती रातों की निशानी लिखता हूं... लिखता हूं तेरे साथ बिताए हर एक लम्हें को... मैं अपनी ही कब्र,अपनी ज़ुबानी लिखता हूं... ©#Satyam shayar#

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