"न हमको थी ये उमीद रहबर कभी तुझे मुझसे प्यार होगा
कभी जो मुझको था आज के दिन, तुझे मेरा इंतज़ार होगा
वो तेरे लब हों या तेरा माथा , मगर मोहब्बत वही रहेगी
बढ़े घटेगा जो कुछ तो वो बस तेरे बदन का करार होगा
- अंकित माहेश्वरी"
न हमको थी ये उमीद रहबर कभी तुझे मुझसे प्यार होगा
कभी जो मुझको था आज के दिन, तुझे मेरा इंतज़ार होगा
वो तेरे लब हों या तेरा माथा , मगर मोहब्बत वही रहेगी
बढ़े घटेगा जो कुछ तो वो बस तेरे बदन का करार होगा
- अंकित माहेश्वरी