White दिन जाड़या के थे गच कि दुंद पडह थी,,60 कि सपिड़ स्पलेंडर की,मुह पर वो बुंद दुंद कि पडह थी,दो लाठी आगह तक भी कुछ ना दिखह था,फिर भी तेरह इंतजार के दिदार मै था,मै जमिदार जिंद का,बागवान तेरा कोलेज हिसार मै था,,मै खेशी औढ़ क आरया था बापु की,तेरी तो जाकिट भी बरांड की थी,,मै तो चालया एक ला ही था,पर तेरह याद होगी,तेरह गैलया तेरी कोलेज कि फ्रेंड भी थी,मै गामडु सा बालक,तु उस टेम इंस्ट्रा पर ट्रेंडिंग मै थी,,चल छोड़ इन बाता न,तेरह याद होगी,फेर आपा तिनो जाके पार्क मै जाकर बैठे थे,फेर बात बाता मै श्याम होगी,और तु बोली आज आज तो रुक जाइये,,मै मखा जाना पडहगा,फेर तनह मुंह सा बनाया,और बोली,ठिक है ध्यान त जाइये
©पागल शायर बबबु मान दा फैन
#GoodMorning 'दर्द भरी शायरी'