तुम्हारा घंटों फ़ोन पर बातें करना,
कभी नींद से उठाना,
बच्चों के जैसे ज़िद करना,
सारी-सारी रात न सोना,
वो सपनों का आशियाना सजाना,
फ़िर जोर-जोर से हँसना,
महसूस करते थे तुम मेरा
शर्म के मारे कुछ न कहना,
तुम्हारी शरारतों से मेरा रूठ जाना,
फ़िर तुम्हारा मनाना और
" हाय..! मेरा बच्चा.." कहना,
याद हैं न तुम्हें.?
©Prashant
#puranedin