तुम्हारा घंटों फ़ोन पर बातें करना, कभी नींद से उठान | हिंदी कविता

"तुम्हारा घंटों फ़ोन पर बातें करना, कभी नींद से उठाना, बच्चों के जैसे ज़िद करना, सारी-सारी रात न सोना, वो सपनों का आशियाना सजाना, फ़िर जोर-जोर से हँसना, महसूस करते थे तुम मेरा शर्म के मारे कुछ न कहना, तुम्हारी शरारतों से मेरा रूठ जाना, फ़िर तुम्हारा मनाना और " हाय..! मेरा बच्चा.." कहना, याद हैं न तुम्हें.? ©Prashant"

 तुम्हारा घंटों फ़ोन पर बातें करना,
कभी नींद से उठाना,
बच्चों के जैसे ज़िद करना,
सारी-सारी रात न सोना,
वो सपनों का आशियाना सजाना,
फ़िर जोर-जोर से हँसना,
महसूस करते थे तुम मेरा
शर्म के मारे कुछ न कहना,
तुम्हारी शरारतों से मेरा रूठ जाना,
फ़िर तुम्हारा मनाना और 
" हाय..! मेरा बच्चा.." कहना,
याद हैं न तुम्हें.?

©Prashant

तुम्हारा घंटों फ़ोन पर बातें करना, कभी नींद से उठाना, बच्चों के जैसे ज़िद करना, सारी-सारी रात न सोना, वो सपनों का आशियाना सजाना, फ़िर जोर-जोर से हँसना, महसूस करते थे तुम मेरा शर्म के मारे कुछ न कहना, तुम्हारी शरारतों से मेरा रूठ जाना, फ़िर तुम्हारा मनाना और " हाय..! मेरा बच्चा.." कहना, याद हैं न तुम्हें.? ©Prashant

#puranedin

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