जिंदगी ने भी कैसा खेल खेला
जहा आपसे बोलना तो बहोत कुछ था
पर वो हर एक लब्ज अधुरेसे रह गये
कितनी यादे और बनानी थी अब तो
जो यादे थी उन्हीके सहारे
जिना होगा
क्यौकी साथ मे बिताये वो हर एक पल
अब दिल मे कैद हो गये
ये वक्त भी कितना जालिम है बेवक्त अपनोको जुदा कर देता है फिरसे कभी ना मिलनेके लिये....
फिरसे कभी ना मिलनेके लिये...
©Sneha Sonale