भर गए वो ज़ख़्म पुराने , अब तो नए ज़ख़्म से राब्ता | हिंदी Shayari Vid

"भर गए वो ज़ख़्म पुराने , अब तो नए ज़ख़्म से राब्ता रखते है । गमों का दौर जवां सा है , फ़िर तेरी कमी भी खलती कहां है । कभी टीस सी उठ जाते , बस अब रिश्ता ही इतना स रखते है । -Anuradha Sharma ©Anuradha Sharma "

भर गए वो ज़ख़्म पुराने , अब तो नए ज़ख़्म से राब्ता रखते है । गमों का दौर जवां सा है , फ़िर तेरी कमी भी खलती कहां है । कभी टीस सी उठ जाते , बस अब रिश्ता ही इतना स रखते है । -Anuradha Sharma ©Anuradha Sharma

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