#FourLinePoetry मकान टुट गया तेरी उम्मीद में
बूढ़े मां बाप मर गये तेरी इंतजार में
अब क्यों लोटकर आया तूं
चला जा , मुझे मरने दे यही कहीं
एक एक ईंट मेहनत का हूं ख़रीदा
जो आज भी क़र्ज़ चुका न पाया हूं
तेरा अस्तित्व तो उन से है
फिर भी तुझे याद अब तक नहीं आया हूं
©Dev Rishi
#fourlinepoetry