आज हार गई मैं खुद के आंसुओं से
इनका बहना लाजमी था ।
क्युकी दर्द जख्मों का जिस्म पर नहीं
दर्द का एहसास सीने में कहीं चुभा था ।
कातिल मेरे हर लब्ज़ आज
ख़ामोश मुस्कुराते दिखते है
शायद मेरा किस्सा अतीत से सौदा करता दिखा है.....
नीली स्याही का कोरे कागज़ को रंगीन करना
यकीनन उलझनों में डालने वाला था
शुक्र है उस शमा का पिघल जाना
हवाओं के झोकें से बच कर उस कागज को जला देना
परवाने के हर इरादों को उसने नकाम किया था ।
बदलता हुआ मेरा जमीर नजर आता है
शायद मेरा किस्सा अतीत से सौदा करता दिखा है......
समझ कर ना समझ लगती हूं मैं
मेरे लिए इश्क अब धोखे से लिपटा हुआ
लिबाज लगता है।
ख्वाबों के आशियां में ये शोर कैसा सुनाई पड़ता है ?
सांसों से रूठ कर एक हल्की सी मुस्कान
मेरे होठों पर बेखौफ संवरता है।
तस्वीरों का खेल ख़तम होते ही
हर इंसान मुसाफिर नजर आता है ।
शायद मेरा किस्सा अतीत से सौदा करता दिखा है.....
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