मेरे सपने...!
छोटीसी जिंदगी, एक लंबा सफर और कुछ यादों के सायें...
ऐ भगवान , मेरे सपने ,न जाने मुझे,ये कहाँ से कहाँ ले आयें...!
न जाने कितने छूटे, न जाने कितने लोग आकर चले गयें...
मेरे सपने साथ रहें,जैसे मेरे हमदम, हमसफर और मेरे हमसायें...!
वक्त और तख्त ने मुझे तोडने की लाख कोशिश की, पर तोड न पायें ...
मेरे सपनोंने, मुझे संभाला, जब जब जिंदगी में टूटने के मौके आयें...!
कुछ पास न था , न कोई साथ था , फिर भी हम चलते रहें...
सपनोंका साथ मिला और हम मंजिलों की ओर बढतें गयें...!
वक्त बदला, अब वक्त के साथ साथ कुछ तस्वींरें बदल गई हैं ...
मंजिलोंके साथ साथ अब अनुभव की तिजोरी भी मिली हैं...!
अब सपनोंके जैसे हमसायें ,हमसफर ,कुछ दोस्त भी मिले हैं...
जिंदगी में दुःख के काटें कम और खुशियों के फुल अब ज्यादा खिले हैं ...!
शुक्रगुजार हूँ मैं ,मेरे उन सपनों का ,जो हर सुख दुःख में मेरे साथ रहें...
मंजिलें तो मिलती रहेगी,जिंदगी का मजा तो तब हैं ,मेरे सपने मेरे साथ रहें...!
- संतोष लक्ष्मण जाधव. (SJ)
©Santosh Jadhav
#मेरे सपने