तुमनें क्यों इस अंश को समझा पाकता के उस क्षितिज सा,
जो सोभीत करता,
शिव के त्रिभुवन को
उस पाक राख के भस्म सा,
जीव मात्र की इस काया
को मत नापो उस पाकता से,
सुन्दर तन मन पवित्र सा चितवन
पाक हमारा मेल रहे।
शक्ति की काया से सोभीत
उस पाक पुनीत सी पार्वती के तप सा,
"मैं" नहीं वह "हम" था लेखक,
उस पाक तपन की ऊर्जा सा।
©Rashmi Ranjan
#Silence @Shailkumar Pandey