अलग अलग धर्मो में रुह या आत्मा का Concept दिया गया है और लोग अपने अपने धर्मग्रंथों को पढ़कर ऐसा विचार करते है की कही कोई रुह या आत्मा होगी मेरे अंदर लेकिन यही तो समस्या है आज के समय में हमने ग्रंथो को रटना सीखा नाकी इनमे लिखी बातों को खुद से अनुभव करना । गीता में कृष्ण आत्मा की बात करते है लेकिन लोग गीता को कंठस्थ करते जबकि गीता का सार ही यही है जिस आत्म की बात उसमे कही गई उस आत्मा को खुद से अनुभव करना ।
©Himanchal Gupta
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