य समन्दर भी मेरे दर्द जितना गहरा है
जिस तरहां समन्दर पर आसमान का पहरा है
मेरी जिन्दगी पर भी तेरी यादों का पहेरा है
समझ में नहीं आता य वक़्त भी किस के लिए ठहेरा है
अब तुम्हें दिखाऊ भी तो किस तरहां
तेरा दिया हुआ जख्म बहुत गहेरा है
सुरेन्द्र लोहट
12/9/2021
©surender kumar